तरक्की Anupama Ravindra Singh Thakur
तरक्की
Anupama Ravindra Singh Thakurतरक्की केबल शब्द नहीं है,
एहसास है उन धोखों का
जो आगे बढ़ने की फिराकत में
अपनों ने ही अपनों को दिया।
तरक्की केवल शब्द नहीं,
एहसास है उनका क्षणों का
जो हँस कर अपनों ने ही
अपनों से निकलवाए।
तरक्की केवल शब्द नहीं है,
एहसास है उस मासूमियत का
जो केवल चेहरे पर थी,
जिसे हथियार बनाकर
अपनों ने ही पाश में बँधा।
तरक्की केवल शब्द नहीं,
तमन्ना है दूसरों को गिराकर
खुद ऊँचा उठने की,
जमीर से नहीं
सिर्फ ओहदे से,
शायद तरक्की इसी का नाम है।