देश का दर्द  Vinay Kumar Kushwaha

देश का दर्द

Vinay Kumar Kushwaha

दर्द जानकर दवा लगाना,
हम सब का फर्ज अब बन गया,
दर्द देश का जिसने जाना,
वो महान हमदर्द बन गया।
 

गाँधी, सुभाष जो कह गए,
वे काम अधूरे रह गये,
सत्य की एक फौज बनाना,
इस देश का कर्ज अब बन गया।
 

अखण्ड-भारत, समृद्ध-भारत का लगता है यहाँ नारा,
भ्रष्टाचार ही निगल गया देश का धन सारा,
इस देश को भगवान बचाना,
जहाँ भ्रष्टाचार एक मर्ज अब बन गया।
 

कहते हैं नेता, नेता नहीं जनसेवक हूँ मैं,
एक बार तो मैं घूमा, पाँच बरस जनता ही घूमें,
जिसको है यह देश सजाना
वो ही खुदगर्ज अब बन गया,
दर्द जानकर दवा लगाना,
हम सब का फर्ज अब बन गया।

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