एक कदम विचार करें! RAHUL Chaudhary
एक कदम विचार करें!
RAHUL Chaudharyझकझोरती नभ तक थल से
आहट लहरों की देकर बादल को,
रुख मोड़ती सख्त हवा का
मद्धम मद्धम वेग बढ़ाकर।
संचित हृदय से धारा सब
अवक्षेपित कर तट तक,
समाहित कर लेता फिर से
अंतः स्थल मे स्थापित कर।
शांत मनोरम दृश्य अनोखा
प्रतिबिंबित होता कितना,
प्रातः कलरव मीठी धूप से
सना प्रकृति का कोना-कोना।
नेत्र प्रिय, कर्णप्रिय, छवि और ध्वनि,
जुड़ी प्रकृति की लय से,
पीड़ा हारक, सुख संचारक,
जीवन का द्योतक, पूरक।
मानव के घातक निर्मित
प्रदूषित कर रहे भयंकर,
जीवन संकट से प्रकोपित
ग्रसित सागर जीव निरंतर।
अपशिष्टों से बढ़कर हानि
पालिथीन, प्लास्टिक, रसायन,
अवरोधित कर मूल प्रकृति
विघ्न उपस्थित जलक्रीड़ा।
देकर बाधा, भंग किया गया
जीवों के आंगन की स्वतंत्रता,
अशुद्ध हवा और रसायन से
गला घोंट रहे हर पल इनका।
समन्यव स्थापित कर प्रकृति से
मत दोहन कर इसका,
सामंजस्य बिठा जीवों और पादप से,
ना छीन यहाँ हक इनका।
हिस्सेदार प्रकृति को कायम रखने में
भरपूर निरंतर तत्पर ये,
जीवित रख संरक्षित कर
अपने ही अस्तित्व के लिये।
पूरक हम इनके बने
जीवन ये निर्माण करें,
रक्षा के खातिर इनके
एक कदम विचार करें।
दिनचर्या में शामिल कर
कुछ चिंतन इनके लिए,
कर्मों से दायित्व से
मिलकर हम मंथन करें।
होकर एकत्रित एक जोर से
वैश्विक पटल पर मजबूत,
अपनी रक्षा से जुड़े पहलू का
एक कदम विचार करें।