१५ अगस्त Anupama Ravindra Singh Thakur
१५ अगस्त
Anupama Ravindra Singh Thakurइस वर्ष १५ अगस्त
और रक्षाबंधन
एक साथ आ गए,
तू बड़ा या मैं बड़ा
इस बात पर अड़ गए।
रक्षाबंधन को था बड़ा गुमान
सोचा भाई -बहन में बसी है
हिंदुस्तान की जान,
सो इस बार
आज़ादी के त्यौहार का
ना होगा कोई नामोनिशान।
हर तरफ गूँजेगा
रक्षाबंधन का ही जय गान,
हर तरफ सुनाई देंगे
केवल भाई-बहन के गाने,
आज़ादी के त्यौहार को
७३ साल बाद
अब कोई, क्यों माने?
सुन यह सब
१५ अगस्त मुस्कुराया,
हाथ पकड़कर रक्षाबंधन का
उसे बाहर ले आया,
गली-मोहल्ले,
हर नुक्कड़,
हर ठेले पर
लहराता तिरंगा
उसे दिखाया।
देख यह
रक्षाबंधन सकपकाया,
हर तरफ से आज़ादी का
तराना सुन
रक्षाबंधन चकराया।
बड़े, बूढ़े, बच्चों में
देश प्रेम देख
रक्षाबंधन शरमाया,
१५ अगस्त ने शांति से
उसे बाजू में बैठाया
और फिर समझाया,
मेरे लिए तो कई माताओं ने
अपने पुत्रों को है गँवाया,
कई बहनों ने
अपने भाइयों को भुलाया,
कई पतियों ने
अपनी पत्नियों को रुलाया,
तब कहीं जाकर
१५ अगस्त का
यह दिन है आया।
चाहे हो जाएँ ७३ वर्ष
या फिर 200 साल,
हिंदुस्तान में आज़ादी का
यह दिवस
हमेशा ही रहेगा बेमिसाल।