कश्मीर (370) Vandana Namdev Verma
कश्मीर (370)
Vandana Namdev Vermaकश्मीर की वादी पे जाँ-निसार करते हैं,
भारत माँ को नमन, बार-बार करते हैं।
तू मेरे है देश का मुखड़ा,
लगता है बस चाँद का टुकड़ा।
शान तुम्ही हो, आन तुम्ही हो - २
तुमको दिल में बसाना।
कश्मीर की घाटी से हटा तीन सौ सत्तर,
आ गई क्रान्ति नई, कश्मीर के अन्दर।
मिल गया जवाब दुश्मनों को करारा,
जो भिड़ेगा देश से जाएगा वो मारा।
छाई है उमंग घर-घर अब,
बदला सब है नज़ारा,
झूम के नाच रहे भारतवासी सब,
भारत माँ ने पुकारा।
उड़ गए होश दुश्मनों के भी
अब न लेना कोई पंगा,
शुभ दिन आया है, खुशियाँ लाया है,
लहराया है तिरंगा।
बच के रहना, सब गद्दारों,
ना मिलेगा सहारा।