कविता की पहचान Sarika Tripathi
कविता की पहचान
Sarika Tripathiकिसी के मन का भार है कविता,
किसी के मन का सार है कविता।
भावनाओं का खुला द्वार है कविता,
कभी घृणा, कभी प्रेम का भंडार है कविता।
कभी टूटे दिल की पुकार है कविता,
कभी खुशियों की झंकार है कविता।
कभी माता का दुलार है कविता,
कभी संतान का आभार है कविता।
कभी प्रेमियों का प्यार है कविता,
कभी शत्रु को ललकार है कविता।
कभी समाज का अंधकार है कविता,
कभी नए जीवन का अधिकार है कविता।
कभी राजनीतिक हाहाकार है कविता,
कभी देशभक्ति का उद्गार है कविता।
शब्दों का परिवार है कविता,
अभिव्यक्ति का आधार है कविता।
खुद में एक संसार है कविता,
हर सीमा के पार है कविता।
कड़वी बात भी मन भाए,
ऐसे स्वाद कविता में आये।
संकोच रहे जो कहने में,
कविता आसानी से कह जाए।
पहचान नहीं कुछ कविता की
पर जान सभी की रहती है,
कह पाते नहीं धुरंधर जो,
वो कविता ही कहती है।