भगवान हो तुम  vishal srivastava

भगवान हो तुम

vishal srivastava

मेरी सांसों की ठण्डक
मेरी आवाज़ हो तुम,
जिस पर इतराता हूँ मैं इतना
उस शाम का ठण्डा चाँद हो तुम।
दुनिया वाले चाहे जो कहें पर मैं जानता,
मेरी ज़िन्दगी थी बेनाम, उस ज़िन्दगी का सुनहरा नाम हो तुम।
 

कितने आए और कितने गए
पर मेरी स्थिरता का नाम हो तुम,
कई दफा भटका कई दफा उलझा
पर मेरी हर उलझन का जवाब हो तुम।
दुनिया वाले चाहे जो कहें पर मैं जानता
मेरी ज़िन्दगी थी बंजर उस ज़िन्दगी की बरसात हो तुम।
 

रोज़ गिरता रोज़ उठता
पर हर सहारे का वो हाथ हो तुम,
कितनों ने मुझको यूँ ही ठुकरा दिया
पर हर ठोकर के बाद की मुस्कान हो तुम।
दुनिया वाले चाहे जो कहें पर मैं जानता
मेरी ज़िन्दगी थी नास्तिक पर शायद,
अब मेरी ज़िन्दगी का भगवान हो तुम।

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