जो बनना हो इतिहास मुझे  Amit Mishra

जो बनना हो इतिहास मुझे

Amit Mishra

जो बनना हो इतिहास मुझे
तो महाभारत मैं हो जाऊँ,
पांडव कौरव में भेद नहीं
मैं किरदारों में ढल जाऊँ।
 

जो मोह त्याग की बात चले
मैं भीष्म पितामह हो जाऊँ,
सत्यवती शांतनु करें मिलन
मैं ताउम्र अकेला रह जाऊँ।
 

जो पतिव्रता ही बनना हो
मैं गांधारी बन आ जाऊँ,
फिर अँधियारा मेरे हिस्से हो
मैं नेत्रहीन ही कहलाऊँ।
 

जो गुरू दक्षिणा देनी हो
तो एकलव्य मैं हो जाऊँ,
बस मान गुरू का रखने को
अँगूठा अपना ले आऊँ।
 

बात हो आज्ञा पालन की
तो द्रोपदी सी हो जाऊँ,
मान बड़ा हो माता का
मैं हिस्सों में बाँटी जाऊँ।
 

जब बात चले बलिदानों की
तब पुत्र कर्ण मैं हो जाऊँ,
तुम राज करो सिंहासन लो
मैं सूत पुत्र ही कहलाऊँ।
 

प्रतिशोध मुझे जो लेना हो
तो शकुनि बन के आ जाऊँ,
मोहपाश का पासा फेंकूँ
और पूरा वंशज खा जाऊँ।
 

जो जिद्दी मैं बनना चाहूँ
क्यों ना दुर्योधन हो जाऊँ,
पछतावा ना हो रत्ती भर
मैं खुद मिट्टी में मिल जाऊँ।
 

बात धर्म और सत्य की हो
मैं वही युधिष्ठिर हो जाऊँ,
हो यक्ष प्रश्न या अश्वत्थामा
मैं धर्मराज ही कहलाऊँ।
 

आदर्श व्यक्ति की व्याख्या हो
बिन सोचे अर्जुन हो जाऊँ,
पति, पिता या पुत्र, सखा
पहचान मैं अर्जुन सी पाऊँ।
 

तुम बात करो रणनीति की
मैं कृष्ण कन्हैया हो जाऊँ,
बिन बाण, गदा और चक्र लिये
मैं युद्ध विजय कर दिखलाऊँ।

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