ज़मीर! Mohanjeet Kukreja
ज़मीर!
Mohanjeet Kukrejaकुछ अर्सा पहले मिला था
मेरे पीछे-पीछे चलता हुआ,
अपने घर ले आया
ख़ूब आदर-सत्कार किया,
नहलाया-धुलाया
साफ़ कपड़े पहनाए,
चाय-पानी पूछा,
खाना-वाना भी खिलाया।
दोस्त मिले थे मुद्दत बाद
काफ़ी गप-शप हुई,
कुछ मत-भेद भी,
गिले-शिक़वे कुछ शिकायतें…!
सोते-वक़्त माथे पे शिकन थी
सुबह कहीं दिखा नहीं,
आस-पास भी मिला नहीं I
कुछ दिन बाद पता चला
घर के पीछे जंगल से
एक लाश बरामद हुई थी
तफ़तीश अभी जारी है...
ख़ुदकुशी थी शायद !!