घना हो जब अँधेरा प्यारे  VIVEK ROUSHAN

घना हो जब अँधेरा प्यारे

VIVEK ROUSHAN

घना हो जब अँधेरा प्यारे
थोड़ा उजियारे की इच्छा रखो,
थोड़ा खुद पर भी भरोसा रखो
उजाला भी होगा, सहर भी होगी,
थोड़ा तो खुदा पर भी भरोसा रखो।
 

गर कोई सपना टूटता है
तो मायूस क्यों होना है,
दूसरा सपना देखना है
और उसको पूरा करना है।
 

जिसे पता हो अपनी मंज़िल का पता
उसे रास्तों के बारे में क्या सोचना है,
सुख-दुःख तो ज़िन्दगी का हिस्सा हैं,
गर आज दुःख है तो कल सुख का भी होना है।
 

कदम-कदम पर ज़िन्दगी हमारा इम्तिहान लेती है
एक बार नहीं बार-बार लेती है,
ज़िन्दगी की हर बाधाओं को हमें तोड़ना है,
और अपनी मंज़िल को, अपनी ख़्वाहिशों को
हर हाल में पूरा करना है।

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