जीवन का फलसफा Anupama Ravindra Singh Thakur
जीवन का फलसफा
Anupama Ravindra Singh Thakurअलग-अलग रंगों से
यह दुनिया भरी है,
कभी खुशियों के रंग
तो कभी दुख की घड़ी है,
इन सभी से तो बना
यह जीवन का नया पोर्ट्रेट है,
ज़िम्मेदारियाँ तो सब को मिली हैं,
कहीं ज्यादा तो कहीं कम चली है।
पर रोने से कौनसी विपदा टली है,
समस्या से ही तो
समाधान की चाबी मिली है,
सकारात्मक दृष्टिकोण
से ही हर बला टली है।
जीवन को पतंग की तरह
उड़ने है देना,
खुला भी है छोड़ना
और डोर भी है थामना,
स्वतंत्र भी है जीना
और मर्यादा भी है पालना।
भगवान ना सही
कम से कम इंसान तो है बनना,
खुशियों को है फैलाना
और गम को है घटाना।
सब कुछ है पाना
पर अपनों को नहीं है खोना,
यही फलसफा है
जीवन में अपनाना,
लाख खुशियाँ
न्योछावर हो जाएँ,
पर किसी का दिल
नहीं है दुखाना।