जाग्रत स्वप्न  AMITOSH AMITOSH

जाग्रत स्वप्न

AMITOSH AMITOSH

सुबह हुई
आँख खुली
उठ कर सोचने लगा
रात का सपना
अभी भी याद था
बिल्कुल सच जैसा
ना कोई शक ना शुबह
फ़िर लगाये भी कहीं सपना तो नहीं
जागता हुआ सपना
मन में चलने वाले
विचारों का सपना
सही गलत
अच्छा बुरा
सबका विश्लेषण
करने वाला मन -विचार
वास्तविक दुनिया से दूर
हमारी विचारों की दुनिया
कहीं ये स्वप्न ही तो नहीं
अपने विचारों से बना
अपने विचारों पर खड़ा
अगर ख्वाब हुए
तो फ़िर मैं कहाँ
कौन और कैसे
मेरे सुख दुख
मेरी भावनाएँ
मेरा व्यक्तित्व
मेरा अस्तित्व
सब विचारों के विश्लेषण
अगर ख्वाब हुए
तो फ़िर मैं कहाँ
कौन और कैसे...

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