निशां AMITOSH AMITOSH
निशां
AMITOSH AMITOSHनिशां बाकी ना रहे
दिल पे जख्मों के
जमीं पे कदमों के
आँखों में खौफ के
ज़िन्दगी में मौत के
निशां बाकी ना रहे
होठों पर शिकवा के
सीने में गिला के
माथे पर सवाल के
पैरों में थकान के
निशां बाकी ना रहे
है बहता पानी तू
तुझ पर पड़ी लकीरों के
निशां बाकी ना रहे ! !