खोज AMITOSH AMITOSH
खोज
AMITOSH AMITOSHमैं मुझमें गुम कहीं
ढूँढ़ता उसे हर कहीं,
अँधेरे उजियारे में
घर और गलियारे में,
बैठ गया थक हार
करता एक विचार,
गुम हुआ कौन
और ढूँढ़ता किसे,
मैं खुद से अंजान
नहीं अपनी पहचान,
यही हुआ पहला ज्ञान,
दौड़ थम गई
सफर रुक गया
घूमती रही
अपनी धुरी पृथ्वी
मैं स्थिर हो गया ! !