मैं शायर बन गया  Sukhbir Singh Alagh

मैं शायर बन गया

Sukhbir Singh Alagh

तेरा इन्तजार करते करते,
मैं शायर बन गया।
तेरा मुझसे मिलना,
मिलके यूँ बिछुड़ना,
सच बताऊँ मैं,
मुझको ये घायल कर गया।
तेरा इन्तजार करते करते,
मैं शायर बन गया।
 

जब भी तुम मुझको, याद आती हो,
ये दर्द, कलम द्वारा उतर जाता है।
आँखों से आँसू निकलना,
तुम्हारी यादों में पल-पल मरना,
अब कब मुलाकात होगी,
ये दिल कहता है।
गुजर रहे हैं ये दिन भी जैसे,
मैं सूली चढ़ गया,
तेरा इन्तजार करते करते,
मैं शायर बन गया।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1036
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com