क़ाफ़िला Smita Abhishek Khandelwal
क़ाफ़िला
Smita Abhishek Khandelwalहक़ीक़त कोई भी हो,
हमसे नहीं छुप सकतीं..
रफ़्तार रोक राह बँधने की चाहत,
मंज़िल को नहीं रोक सकतीं...
क़ाफ़िला राही का रोक न पाए गा कोई,
चालो साथ देते हैं ज़रा थोड़ी दूरी।
चल के तो देखें उस रास्ते को पत्थरों के ढेर पे,
बिखरे हैं मोती जैसे सबकी मुँडेर पे,
अकेला कौन जीत पाएगा सागर के शोर को,
जहाँ देखे वहीं हर और को।
मतलब के ना बनो अपनों के वास्ते
रुक जाओ ज़रा थोड़े रास्ते,
मोड़ लो राहों को, साथी के वास्ते, अपनों के वास्ते।