प्रयास Ravi Panwar
प्रयास
Ravi Panwarप्रतिबिम्ब तुम्हारा तुमसे ही
पूछेगा यह हर बार यही,
सुख छोड़ दिए निज जीवन के,
पर छोड़े तुमने मतभेद नहीं।
इन राग द्वेष की बातो में
दुखते मन की सौगातों में,
अब तक वो बात लिए बैठें,
इस बात का तुमको खेद नहीं।
मुख में तरकश को बाँध लिया
शब्दों के बाणों को तान लिया,
मृत्यु शैय्या में भल भीष्म पड़ा
पर भूलेंगे अपना प्रतिशोध नहीं।
जीवन भी ऐसा जीवन क्या
दिन रात रहे जब घोर व्यथा,
जब समय पुकारेगा तुमको
करना उस पर संदेह नहीं।
जीवन ईश्वर की धाती हैं
हर क्षण कर्मों की भाँति हैं,
इन हाथों की रेखाओं में
होता अक्सर संजोग नहीं।
बाट न जोह, एक कदम बढ़ा,
गाँठों को, धीमें से सुलझा,
अनकही, अनुचित बातों का,
संबंधों में होगा, फिर प्रवेश नहीं।
हारिल के पँखो सा अनथक
नभ में उड़ता रह तब तक,
जब तक ना मिले "रवि" तुझको,
और रह जाए कुछ भी शेष नहीं।