आज फिर RAHUL Chaudhary
आज फिर
RAHUL Chaudharyअश्क देख उस शख्स के
आँखें उतर आई आज फिर,
लम्हें गुजर गए उसे दोहराने
ज़िन्दगी मोड़ लाई आज फिर।
छोड़ दी थी गालियाँ वो
जिसके खातिर तकरार में,
वहाँ जा के लगा आज भी
रौनकें वहीं हैं मेरे इंतज़ार में।
पल वही सामने था
छोड़ा था जहाँ पर,
शक्श वहीं खड़ा था
जो रोया था मुझपर।
पल थोड़ा जुदा था
इस कदर ये उससे,
वो दूरियों का रोना था
ये आँसू निकले मिलने से।
क्यों पिघलना चाहता हूँ
मैं उसकी बाहों आज फिर,
क्यों सिमटना चाहता है
ये दिल उसमें आज फिर।
आँखों में खो के एक दूजे की
क्यों नमी की बारिश आज फिर,
मिल के उठा तूफान साँसों से
बढ़ गई धड़कन आज फिर।
तमन्ना आग में जल के हुई
अधूरी से पूरी आज फिर,
सो रहे एहसास दिलों के
हुआ बयां कुछ यूँ आज फिर।