छलकते नैन Anjali Anjali Yadav
छलकते नैन
Anjali Anjali Yadavअपने रूठते चले गए,
सपने टूटते चले गए,
इसी जीवन की पहेली में,
ये नैन छलकते चले गए।
दर्द बढ़ते चले गए,
दिल टूटता चला गया,
न समझा पाए किसी को दिल की सच्चाई,
बस ये नैन छलकते चले गए।
सच को झूठ बनाते गए,
झूठ से फासले बढ़ाते गए,
कोई न देख सका
दिल की साफ़ नज़रों को,
तो ये नैन छलकते चले गए।
लोग समाज बनाते गए,
अपना-अपना कहते गए,
स्वार्थ की नदिया बहाते गए,
डूबते इस नदी में नावों को देखकर,
बस ये नैन छलकते चले गए,
बस ये नैन छलकते चले गए।