पथ के शूल VINAY KUMAR PRAJAPATI
पथ के शूल
VINAY KUMAR PRAJAPATIमंज़िल मिलेगी उसको कल,
जो तय करेगा पथ के शूल,
सपने होंगे उम्मीद भरे,
तो रास्ते होंगे काँटों भरे।
काँटों पर चल कर,
दर्द को सह कर,
कुछ पाकर तो कुछ खोकर,
हौसला बाँधकर सर उठाकर,
ना हारकर ना डरकर,
कर ऐसा संकल्प डटकर,
तभी तो होंगे पार,
यह पथ के शूल -पथ के शूल।
मन में है इच्छा तो मिलेगा रास्ता,
मन में है विश्वास तो डर ने की क्या बात,
जगा उस विश्वास को
जो भरता है हर घाव को,
बुझने ना देना उस दीये को,
जो मिटाता है मन के अँधेरे को,
हृदय की बात से मन की आस से,
कर ऐसी प्रतिज्ञा उम्मीद के दीपक से।
जागो सूरज से पहले,
फैलो उस किरण से पहले,
तय करनी है तुमको मंज़िल,
तभी तो होंगे पार,
यह पथ के शूल- पथ के शूल।