पथ के शूल  VINAY KUMAR PRAJAPATI

पथ के शूल

VINAY KUMAR PRAJAPATI

मंज़िल मिलेगी उसको कल,
जो तय करेगा पथ के शूल,
सपने होंगे उम्मीद भरे,
तो रास्ते होंगे काँटों भरे।
 

काँटों पर चल कर,
दर्द को सह कर,
कुछ पाकर तो कुछ खोकर,
हौसला बाँधकर सर उठाकर,
ना हारकर ना डरकर,
कर ऐसा संकल्प डटकर,
तभी तो होंगे पार,
यह पथ के शूल -पथ के शूल।
 

मन में है इच्छा तो मिलेगा रास्ता,
मन में है विश्वास तो डर ने की क्या बात,
जगा उस विश्वास को
जो भरता है हर घाव को,
बुझने ना देना उस दीये को,
जो मिटाता है मन के अँधेरे को,
हृदय की बात से मन की आस से,
कर ऐसी प्रतिज्ञा उम्मीद के दीपक से।
 

जागो सूरज से पहले,
फैलो उस किरण से पहले,
तय करनी है तुमको मंज़िल,
तभी तो होंगे पार,
यह पथ के शूल- पथ के शूल।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1136
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com