स्नेह आपका ABHISHEK KUMAR GUPTA
स्नेह आपका
ABHISHEK KUMAR GUPTAथी जो कमियाँ मेरे अंदर थी
पूरा कर दिया उसे आपने,
जो काँटे थे राह मे मेरे
फूल बना दिया उसे आपने।
बेरंग ज़िन्दगी में आकर के
भर दिया खुशी का रंग आपने,
आशा थी जो कुछ बनने की
उन्हें दिखाया राह आपने।
आँखों मे जो कुछ थे सपने
पूरा कर दिया उसे आपने,
हम बेखबर थे जिन रिश्तों से
उन्हें निभाना सिखा दिया आपने।
प्रेम की परिभाषा होती क्या
वैभव बन बता दिया आपने,
थोड़ी थी ज़िन्दगी अभी की
उसे निरंतर बढ़ा दिया आपने।
बनकर मेरे सच्चे हमदम,
मुझे जीना सिखा दिया आपने।