परछाई मिली VIVEK ROUSHAN
परछाई मिली
VIVEK ROUSHANनज़रें मिलीं, नज़रें झुकीं,
यों इश्क़ का इज़हार हुआ,
कुछ बातें की, मुलाकातें की,
अरमान जगे, कुछ ख्वाब सजे,
ये सब बहुत अच्छा लगा,
प्यार हमारा सच्चा लगा।
दो दिल से एक दिल बने
थे पराए जो अपने बने,
प्यार हुआ, तकरार हुई,
फिर दिल ही दिल में वार हुआ।
दर्द मिला, तन्हाई मिली,
यार की रुस्वाई मिली,
चाहा था जिसे अपना अक्स बनाना,
मिली तो सिर्फ उसकी परछाई मिली।
