आशाओं के दीप जलाना  ANIL Mishra Prahari

आशाओं के दीप जलाना

ANIL Mishra Prahari

घोर अँधेरा घिरे डगर में
बाधित पथ हो गली-नगर में,
सूरज थका-थका दिखता हो
भाग्य धरा का तम लिखता हो,
अम्बर पुलकित मारे ताना
आशाओं के दीप जलाना।
 

जीवन देगा प्रश्न अनोखे
देगा तुझको अगणित धोखे,
तोड़ेगा निर्दय वह पर भी
चैन न लेने दे पल-भर भी,
मुश्किल में घर और घराना
आशाओं के दीप जलाना।
 

बरबस तेरा सपना टूटे
प्यार भरा घर अपना छूटे,
आसमान से बरसें शोले
साथी ही मधु में विष घोले,
सुख करता नित नया बहाना
आशाओं के दीप जलाना।

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