बस चार कदम चलना होगा  ध्रुव कुमार मिश्र

बस चार कदम चलना होगा

ध्रुव कुमार मिश्र

विपदा में रोकर चुप बैठे और नियति का लेखा जान लिया
इक प्रयास तक किया नही और ईश्वर इच्छा मान लिया,
विधि का लेखा बहुत पढ़ा अब हमको भाग्य बदलना होगा
चार कदम चलना होगा बस चार कदम चलना होगा।
 

यह स्वर्णिम अवसर पथ प्रशस्त का सबको नहीं मिलेगा
यदि हम डर कर बैठ गये तो आगे कौन चलेगा,
ये जीवन का कर्म युद्ध है आगे और निकलना होगा
चार कदम चलना होगा बस चार कदम चलना होगा।
 

जब लक्ष्य बड़ा हो जीवन का निश्चित बाधाएँ आएँगी
करने पथ से विचलित हमको निश्चिच विपदाएँ आएँगी,
ये निश्चित सबको त्रासेंगी अब हमको और संभलना होगा
चार कदम चलना होगा बस चार कदम चलना होगा।
 

उनको हमसे आशाएँ हैं जो अधिकारों से वंचित हैं
इस समाज का हिस्सा होकर प्रतिकारों से अभिसिंचित है,
उनकी पीड़ा हरने को हम सबको सोच बदलना होगा
चार कदम चलना होगा बस चार कदम चलना होगा।

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