बापू  VIKAS UPAMANYU

बापू

VIKAS UPAMANYU

आज बहुत याद आया
वो बापू लाठी वाला,
अहिंसा का था जो पुजारी
सत्य की राह दिखाने वाला।
 

प्रेम-प्यार का शस्त्र लेकर
जिसने सत्याग्रह कराया,
अहिंसा का अस्त्र लेकर
जिसने अंग्रेज़ों को भगाया।
 

हाँ-हाँ बहुत याद आया
वो बापू चरखे वाला,
पहन खादी जिसने
स्वदेशी को अपनाया।
 

स्वच्छता का था जो पुजारी
खुद से ही ली सब जिम्मेदारी,
कभी न तुमने हिम्मत हारी
इसलिए तुम हो जन-जन के बलिहारी।
 

जी हाँ बहुत याद आया
वो बापू चश्मे वाला,
लड़ी तुमने असीमित लड़ाई
न तोप चलाई न गोली चलाई।
 

बापू तुमने कैसी करम दिखाई
न शस्त्रों से की तुमने कभी लड़ाई,
अहिंसा मार्ग अपनाकार
तुमने सबको आज़ादी दिलाई।

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