वतन के वास्ते संजय साहू
वतन के वास्ते
संजय साहूतुम इंसान हो या फिर हैवान,
जो कर रहे देवदूतों को परेशान।
इंसानियत शायद तुममें बाकी नहीं,
जो इस कृत्य पर तुम्हारी रूह काँपी नहीं।
तुम न जाने कैसा ये धर्म निभा रहे,
सारे संसार को अपने नापाक इरादे बता रहे।
मौत बाँटने वालों सुन लो, वो दे रहें हैं जीवनदान,
समझ सको तो, तुम भी कर लो उनका सम्मान।
उन फरिश्तों को है, मेरा कोटि-कोटि प्रणाम,
जो देश सेवा में, कर रहे अपना बलिदान।