दुख में सुख Rajender कुमार Chauhan
दुख में सुख
Rajender कुमार Chauhanपवन वेग से आया कोरोना,
रुक गए कार्य जग गतिविधि!
पूर्वोपाय अथवा भय वश ही,
थम गया समय सीमा अवधि।
शोक संतप्त दुख की घड़ी में,
शुभ समाचार कुछ ले आया!
स्वच्छ हुआ जल थल हरित,
कण-कण पृथ्वी का मुस्काया!
अपनी माटी शुद्ध करने को,
प्रभु का यही है विधान-विधी।
त्रासदी वश हुआ ये परिवर्तन,
प्राकृतिक स्वचालित क्रिया है!
निरन्तर होता शुद्ध पर्यावरण,
नव ग्रहों की यही दिनचर्या है!
स्वच्छ नीर धरा का वातावरण,
स्वस्थ जीवन है वरदान निधि।
शान्ति व्याप्त, चुप चप्पा-चप्पा,
क्या लौट आया है फिर अतीत?
रोग निवारण उपचार विदित है,
नया सवेरा है ये नव सूर्य उदित!
रहे अमर सम्पदा सुरक्षित सदैव,
समय सिखाए सदृश सद्बुद्धि।
बीमारी है निश्चित निष्कर्ष -
वैश्विक ताप यदि अनियंत्रित!
महामारी को खुला निमन्त्रण,
हरियाली यदि नहीं सिंचित !
पड़े अकाल या बाढ़ प्रलय हो,
किंचित प्राप्त ना रिद्धि सिद्धि।