बचपन  VIPIN KUMAR TYAGI

बचपन

VIPIN KUMAR TYAGI

मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है बचपन,
पैदा होते ही सभी की आँखों का सितारा होता है,
माँ बाप की आशाओं का सहारा होता है,
सभी को कब बोलेगा का इंतजार कराता है,
बोलने पर पहला शब्द क्या बोलेगा इस पर भी इंतजार कराता है।
बचपन, बहुत प्यारा होता है बचपन,
मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है बचपन।
 

सभी चाहते हैं उसे सिखाना,
सभी चाहते हैं उसे खिलाना,
यही होता है बचपन,
सभी चाहते हैं उसे पढ़ाना,
सभी चाहते हैं उसके साथ में खेलना,
कितना प्यारा होता है बचपन।
 

सभी गलतियाँ माफ होती हैं,
चीजों को तोड़ना फोड़ना भी माफ होता है,
गलतियों पर धमकाना भी माफ होता है,
सभी का प्यारा होता है सभी का दुलारा होता है,
बचपन, कितना प्यारा होता है बचपन,
मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है बचपन।
 

ना कोई पढ़ाई, ना गृह कार्य,
ना कोई परेशानी, ना कोई चिंता,
ना नौकरी की चिंता, ना कमाने की चिंता,
केवल खेलना कूदना, साथियों से रूठना फिर मान जाना,
केवल खेलना ही खेलना बचपन,
कितना प्यारा होता है बचपन,
मानव जीवन का स्वर्णिम काल होता है बचपन।

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