शहादत Arun Mishra
शहादत
Arun Mishraकब तक होगा ये लहू पात?
कब तक सहेंगे आत्मघात?
होगा उल्लंघन ज्यों इस तरह,
कब तक होगा ये आत्मसात?
ममता की गागर फूटेगी,
हीना की खुशबू छूटेगी,
ज्यों ऐसे ही होता रहा,
तो कितनी दुनिया लूटेगी।
सीमा से शमशानों तक,
यूँ कितने बेटे पहुचेंगे,
गर ये नहीं थमा तो,
कितने सिंदूर रूठेंगे।
इन बेटों की शहादत का,
कुछ तो तुम साकी समझो,
इन बेटों की रक्षा में बंधे,
कुछ बहनों की राखी समझो।
होगा आतंक का अंत एक
क्षय होगी ना कोई रक्तबूंद,
है नमन वीर तुमको सदैव,
तुम हो भारत के वीरदूत!!!!