दोहे anand amit prajapati
दोहे
anand amit prajapati१.
किस्मत रहती है अभी, मुश्किल में भी साथ।
मेरे सिर पर है सदा, मेरी माँ का हाथ।।
२.
सुख के सागर का तुम्हें, बतलाता हूँ राज।
चरण पकड़ के देखना, अपनी माँ के आज।।
३.
चरणों में मैं हूँ पड़ा, माँगूँ नहि धन-धान।
मैं मूरख अंजान हूँ, गुरुवर देना ज्ञान।।
४.
देख कला तेरी प्रभू, हो जाता हूँ दंग।
तेरा गूढ़ा रंग है, मेरा फीका रंग।।
५.
दुनिया तेरी भी वही, जिसमें मेरा वास।
मैं समझूँ घर साजना, पर तूँ कारावास।।
६.
दुनिया की तुम राह में, मत बनना रे काँट।
कारण बन मुस्कान का, सबको खुशियाँ बाँट।।
७.
जितने तेरे रंग हैं, उतने मेरे रंग।
रब जो तेरे संग है, वो ही मेरे संग।।
८.
तन के सारे दर्द का, मन ही है ठहराव।
पीड़ा देते हैं सदा, मन के गहरे घाव।।
९.
करखाने जब थे नहीं, तब बहता था क्षीर।
कितना गंदा हो गया, अब गंगा का नीर।।
१०.
पत्थर के हम हो गए, पत्थर की छत छाँव।
घास-फूस की छत जहाँ, प्यार बसे उस गाँव।।