मेरी माँ SANTOSH GUPTA
मेरी माँ
SANTOSH GUPTAखोकर आसमानों में कहीं
टिमटिमाती है मेरी माँ,
अंधेरों मे रौशनी बनकर
जगमगाती है मेरी माँ।
किरणें बनकर सितारों की
मेरे पास आती है मेरी माँ,
मेरे मन की गति से चलती है
हर पल मुझे वह दिखती है।
निराश हो जाऊँ अगर कभी
विश्वास बन जाती है मेरी माँ,
दिल में मेरे वो रहती है
दूर कहाँ है मेरी माँ।
रोटी के हर निवाले में
याद आती है मेरी माँ,
चावल के हर दाने में
याद आती है मेरी माँ।
आँखो के आँसू को
मोती बनाती है मेरी माँ,
जीवन की हर मुश्किल को
छोटी बनाती है मेरी माँ।
उलझन हो जब भी कोई
सुलझाती है मेरी माँ,
करोड़ों, अरबों मीलों दूर
ये तारे आसमानो में,
दिखते हैं सदियों से
ना होकर भी जमाने में।
न होकर भी ज़िंदा है मेरी माँ,
मेरे अरमानो में साथ रहती,
साहस भरती,
हिम्मत देती, मेरी माँ।
मेरे आँसू गिरने से पहले
आँचल भिगोती मेरी माँ,
अनंत प्रेम की अनन्य देवी
पलकों पर संजोती मेरी माँ।
जग की छाँव-धूप से
मुझको बचाती मेरी माँ,
जीवन के हर स्वरुप का
पाठ सिखाती मेरी माँ,
ईश्वर के हर रुप को
खुद में दिखाती मेरी माँ।