जीवनदाता  SANTOSH GUPTA

जीवनदाता

SANTOSH GUPTA

एक ममता की मूरत
एक प्रेम की सूरत,
एक देवी का मंदिर
एक ईश्वर का तीरथ।
 

एक मृदुता की चादर
एक स्नेह का सागर,
एक भावों को छिपा नहीं पाती
एक आँसू बहा नहीं पाता।
 

एक धरातल बनकर,
गोद की कोमलता देती,
एक छत्र बनकर
छाया की स्थिरता देता।
 

एक मोह की तरलता
एक प्यार की सरलता,
एक आगोश में रखती
एक जोश सिखाता।
 

दिलो में भावनाएँ भरती है एक
कर्तव्यों सा कठोर बनाता दूजा,
लेकिन ये दोनों अलग नहीं
दोनों तो एक हैं,
ईश्वर का ही कोई रुप हैं,
उसके तो रुप अनेक हैं।
 

वे बागबांन हमारी बगिया के
हम फूल लेकर रंग उनके,
खिले हैं जहाँ में हम
हम कलियाँ सदा संग उनके।
 

सीचते हमें, उगाते हमें,
वचनों की तरह निभाते हमें,
जीवन देकर जीना सिखाते
विधाता हमारे जीवनदाता कहलाते।

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