मैं आम आदमी हूँ Pooja Sharma
मैं आम आदमी हूँ
Pooja Sharmaअवकाश किसे भला यहाँ
सुनने की मेरी व्यथा,
जाकर किसे बतलाऊँ
मैं अपने जीवन की कथा,
चूंकि, मैं आम आदमी हूँ।
दाल-भात की चिंता में तीसों दिन निकल जाएँ,
फिर भी बुनियादी ज़रूरतें न पूरी हो पाएँ।
ऐसे में क्या खाक सरकारी योजनाएँ समझ में आएँ,
हाँ, मैं आम आदमी हूँ।
पाई-पाई कर के बचाऊँ
फिर चाहे सब्जीवाले वाले से ही
क्यों ना भिड़ जाऊँ।
डालडा में भी देसी घी का स्वाद पाऊँ
मूंगफली को बादाम समझ खाऊँ
पीतल में ही सोने सा सुख पाऊँम,
हाँ, मैं वही आम आदमी हूँ।
टैक्स पूरा चुकाता हूँ
फिर भी कहीं से राहत नहीं पाता हूँ,
पल-पल समझौता करता जाता हूँ
चूंकि, मैं आम आदमी हूँ।
करोड़ों की भीड़ में अकेला खड़ा हूँ
प्रजातंत्र की पतवार पकड़े अडिग अडा हूँ।
अथक परिश्रम करता नहीं कोई बेईमानी,
फिर भी सिस्टम निकाले नित नई खामी।
हाँ, मैं आम आदमी हूँ।
नहीं आस्तित्व मेरा कोई खास
जिसका वर्चस्व दिखता हो,
हूँ क्षुद्र धूल कण समान
अज्ञात लघु और बेनाम।
हाँ, मैं आम आदमी हूँ,
हाँ, मैं आम आदमी हूँ।