मैं क्यों लिखती हूँ Pooja Sharma
मैं क्यों लिखती हूँ
Pooja Sharmaलेखन मेरे लिए जुनून है
व्यथित हृदय के लिए ये एक सुकून है,
मन में यह बात कहीं आज घर कर गई और
लेखन की मैं फिर शुरुआत कर गई।
फिर वो हँसकर पूछ बैठी मुझे
क्या इसके लिए पैसे तुम्हें मिलते हैं?
नहीं मिलते तो क्यों तुम लिखती हो?
मैंने भी मुस्कुरा कर कह दिया
माना इस ज़माने में हर चीज़ बिकाऊ है
पर मन के भाव पैसों के मोहताज नहीं।
शब्दों का पाठक हृदय तक पहुँचना ही बड़ी पूँजी है
यही सफल लेखन की सबसे बड़ी कुंजी है।
लेखन मेरा एक तुच्छ प्रयास ही है
इसके जरिए मन के द्वार खोलना अनायास ही है।
मनोभाव तो समंदर के उस उफ़ान की तरह हैं
जिन्हें लेखन रूपी तट ही सीमित कर सकता है,
जाने क्यों लोग हर चीज पैसों से तोलते हैं
हम तो इस आनंद को सर्वजन हित में खोजते हैं,
परिस्थितियों को लेखन की नींव के रूप में देखते हैं।