ख्याली तराना Tanushri Das
ख्याली तराना
Tanushri Dasख्यालों में अब भी मिलते हैं,
जाने क्यों ये फूल खिलते हैं।
खबर नहीं है उनको
कि प्यार नहीं है हमको,
प्यार तो बहुत गहरा होता है,
नदी, तालाब, झरना नहीं
सागर जैसा विशाल होता है।
हम तो नदी के दो किनारे हैं
जो चलते हैं साथ-साथ,
पर रख नहीं पाते हाथों में हाथ।
रखते हैं एक दूजे की सारी खबर,
पर एक नहीं है हमारा सफर।
सोचा था लगा लेंगे गले
पर पाँव रुके थे वहीं,
हाथ तो दिखाया था,
तभी तो वो मिलने आया था।
चाहें भी तो बढ़ नहीं पाएँ,
सामने आते ही उनके हम थम जाएँ।
कैसा सोचा था और हुआ है क्या,
धड़कनें भी समझ गईं,
तभी नहीं बढ़ी।
मिलते थे जब पहले
शायद ऐसा ही कुछ होता था,
ज्यादा कुछ खास नहीं
सब कुछ बहुत साधारण था।
हम ही ज्यादा सोच लिए,
मानो फिल्मों का तराना था।