मेरे राम शशांक दुबे
मेरे राम
शशांक दुबेकुटी बना काननों में
शिविर लगा वनों में,
वनवास काल राजा
राम ने बिताया था।
नहीं कुछ वर्षों का
कई शत वर्षों का,
कष्ट वनवास का यूँ
प्रभु जी ने पाया था।
यक्ष-देवता-नरों ने
भालू और वानरों ने,
मिलकर सबने ही
लंका को ढहाया था।
लौटे जब राजा राम
पावन अवध धाम,
खुशियों के आँसुओं से
दीपों को जलाया था।