विराजे प्रभु श्री  Surya Pratap Singh

विराजे प्रभु श्री

Surya Pratap Singh

सदियाँ बीत गई जिस पल की आतुरता में,
पीढ़ी दर पीढ़ी बीती बहुतों की व्याग्रता में।
व्यवधान उत्पन्न किए न जाने कितने दुष्टों ने,
पर किचिंत सफल न हुए व्यर्थ के प्रयत्नों में।
 

प्राण गँवाए कितनो ने,
कितनों ने अथक प्रयत्न किए,
इस सुमगंल क्षण की खातिर,
सूनी कितनी माओं की गोद हुई।
 

आकांक्षाएँ फलीभूत हुई
जन-जन की भागीदारी से,
विध्न हरण हुए समस्त
सनातन धर्मी हुए मस्त।
 

तसव्वुर में जिसके बीत गई कितनी सदियाँ,
बह गई इसी प्रतीक्षा मे न जाने कितनी नदियाँ।
जनमानस कर रहा प्रतीक्षा युगों से होकर विकल,
प्रतीक्षा दूर हुई आज हिन्द इसमें हुआ सफल।
 

मयस्सर न हुआ कितनों को दर्शन प्रभु मन्दिर का,
लो आ गई मंगल घड़ी प्रभु मन्दिर निर्माण की।
दीप-उत्सव पुनः आज उत्सव हो पूरे भारत में,
विराजे प्रभु श्री राम आज पावन भूमि अयोध्या में।

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