रणवीर Anupama Ravindra Singh Thakur
रणवीर
Anupama Ravindra Singh Thakurउस वीर सपूत को प्रणाम है
जो दुश्मन के घर में घुस
उसे धूल चटा दे,
अद्भुत बल और साहस से
कंदराओं में छिपे
आतंकियों को
मौत के घाट उतार दे,
पर्वत की चोटी पर भी छिपे
कायरों की ईंट से ईंट बजा दे,
उस वीर सपूत को प्रणाम है।
भारत माँ की रक्षा कर जो
हम सब को सुकून की
नींद और शांति दे,
माँ भारती का प्रहरी बन
हर सुख चैन को ठोकर मार दे,
अपनी दहाड़ से
जो शत्रु को दहला दे,
उस वीर सपूत को प्रणाम है।
गोलियों से जिसका
सीना छलनी-छलनी हो जाए
उठ कर फिर भी वह
दसों को मार गिराए,
झुके नहीं जो खुद कभी
ना माँ भारती को झुकने दे,
उस वीर सपूत को प्रणाम है।
सुन ले ऐ ! कायर ! पाकिस्तान
हर बार हमने बक्शी है तुम्हारी जान,
जिस दिन माँ भारती का यह वीर सपूत
अपनी पर उतर आएगा,
चुल्लू भर पानी देने वाला भी
पाकिस्तान में ना बच पाएगा।
हमारे वीर सपूतों ने ही
कारगिल में तुम्हें धूल चटवाई थी,
तुम्हारी आबरू
कौड़ियों के दाम बिकवाई थी।
उसका हश्र क्या भूल गया
जो फिर आज
हमसे उलझ गया,
फिर से मुँह की खाएगा
अजेय, अपराजित
भरतीय रणबांकुरों से
पल में खाक हो जाएगा,
सर्वोच्च बलिदान के लिए
है हमारे रणबांकुरे हर पल तत्पर,
उन सच्चे वीर सपूतों को प्रणाम।