बातें तन्हाईयो से !! Surya Pratap Singh
बातें तन्हाईयो से !!
Surya Pratap Singhयूँ अकेले ज़िन्दगी जिए जा रहा हूँ,
जैसे कोई तपस्या किए जा रहा हूँ।
हूँ विरक्त इस कदर मैं जमाने से,
खुद ही बातें कर रहा खुद की तनहाइयों से।
लाख कोशिश की कि मैं मिल सकूँ,
मैं मिल सकूँ किसी दिन खुद से कभी,
खुदको बतलाऊँगा खुद को समझाऊँगा,
कि मैं भी यही हूँ इस दुनियाँ में अभी।
खुद से ही प्रश्न खुद से ही जवाब,
खुद से ही खुद को समझा रहा हूँ,
इस मृगमारिच छणभंगुर दुनियाँ में,
न जाने कैसी ज़िन्दगी जिए जा रहा हूँ।
है साश्वत नियम सृष्टि का,
अकेले ही आना अकेले ही जाना,
अकेलेपन की फिर परवाह क्यों,
जब अकेले ही जीना जीवन यहाँ।
न देखे कोई इस कदर प्यार नज़रों से,
वो बेरूखे जज्बात ही काफी हैं,
खुश रहे हर कोई अपनी महफिल में,
ऐ अकेलापन ही मेरा साथी है।