अपरिभाषित सी...हमारी प्रेम कहानी है  Dharmender Jangra

अपरिभाषित सी...हमारी प्रेम कहानी है

Dharmender Jangra

मैं शून्य को दर्शाता हूँ...
तू अनंतता की निशानी है...
 

मैं अनुकरणीय...तर्कहीन सा...
तू करणीय...तर्कसंगत है...
 

मैं तिमिर रात का सा...
तू उद्योत दिन का है...
 

मैं सोम सा वीरान हूँ...
तू धरनी प्राणदायनी-सी है...
 

मैं शून्य सा...तू अनंतता की निशानी है...
बस यही...अपरिभाषित सी...हमारी प्रेम कहानी है...

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