तुझे भी अबकी बार फोरलेन कर देंगे..  SONIT BOPCHE

तुझे भी अबकी बार फोरलेन कर देंगे..

SONIT BOPCHE

चाँद की चाँदनी में डूबा नहाया हुआ शहर
मुझको लगता है किसी सज रहे दूल्हे की तरह,
जिसकी दीवानी किसी गाँव की इक कच्ची गली
अपने महबूब से मिलने को अकेली ही चली।
 

बीच में देख जिसे चौंक पड़ी पक्की सड़क
उसको रोका वहीं टोका करके आवाज़ कड़क,
इस तरफ शहर के घर को तू किधर चलती है
घर की और पेड़ की छाँवों में टहलने वाली,
आके सुनसान से मैदान में क्यूँ जलती है!
 

"मैं तो चलती हूँ के बस अपने शहर से मिलने
जैसे चलती है दुल्हन अपने शौहर से मिलने"
सुनके यह पक्की सड़क हँसते हुए बोल पड़ी-
"सुन रे पगली तू आज जिससे मिलने जाती है
बन के बैठा है दुल्हा वो कल उसकी शादी है
चार लेनों की सड़क उसके लिए आई है।
ढेर सारी नई सौगात ले के आई है
उसका अब बैठना उठना भी बज़्म-ए-शाही में,
कभी तू देख फरक अपने - उसके राही में,
चली जा, गाँव चली जा, ये रिश्ता पक्का है,
तेरी तरह ही तेरा भाग भी तो कच्चा है।"
 

ऐसा सदमा पड़ा सर हाथ धर के बैठ गई
किस मुँहे जाऊँगी अब गाँव सोच लेट गई
इस ही उम्मीद में फिर लेटी रही धीर धरे
कोई नेता किसी दिन आए ये तकरीर करे
"तेरी तकदीर-तेरी सतह प्लेन कर देंगे
तुझे भी अबकी बार फोरलेन कर देंगे"

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