हिन्दी B Seshadri "Anand"
हिन्दी
B Seshadri "Anand"हमारी संस्कृति का सभ्यता का सार है हिन्दी
हमारी चेतना है सोच है व्यवहार है हिन्दी,
हमें जोड़े हुऐ है जो परस्पर एक दूजे से
हमारी एकता का सूत्र है आधार है हिन्दी।
हमारे देश के अस्तित्व की पहचान है हिन्दी
हमारी सभ्यता के ग्रंथ का उन्वान है हिन्दी,
सरलता का सरसता का अनूठा स्रोत है इसमें
अलंकारिक रसों का छंद का रसपान है हिन्दी।
इसे लिखने इसी को गुनगुनाने का चलो व्रत लें
इसे पढ़ने इसे सुनने सुनाने का चलो व्रत लें,
समझती है हमारी भावना के भाव जो हिन्दी
इसे अब राष्ट्र भाषा हम बनाने का चलो व्रत लें।
दिखावे ढोंग में पड़कर न ऐसे टालिये इसको
हृदय में प्रीति के आभास जैसा पालिये इसको,
नहीं है मात्र भाषा, देश का सम्मान है हिन्दी
दिखावा छोड़ अपने आचरण में ढ़ालिये इसको।