एक छोटा सा घर होता ABHISHEK KUMAR GUPTA
एक छोटा सा घर होता
ABHISHEK KUMAR GUPTAचारों तरफ फूलों के बगीचे
मौसम मस्त मगन होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
लाल-लाल सेबों के बगीचे
ऊँचा पर्वत भी होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
कहीं बर्फ की चादर तो कहीं
हरा बिछौना भी होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
पक्षी मिलकर सुर में गाते
झीलों का सरगम होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
डल के अंदर एक शिकारा
जिसमे मैं बैठा होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
आज़ादी होती जीने की
दिल मेंकोई दर्द नहीं होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
धरती के इस स्वर्ग में रहकर
मन कितना हर्षित होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।
सांसें मेरी थमने से पहले
यह सपना भी सच होता,
काश ! अगर कश्मीर में मेरा
एक छोटा-सा घर होता।