खता Anupama Ravindra Singh Thakur
खता
Anupama Ravindra Singh Thakurऐ कुदरत ! ♂️
क्या हमसे हो गई खता
जश्ने आजादी भी मनाई
तो
साँसों पर पाबंदी के साथ
तिरंगे को छूने की हसरत बहुत थी
पूरी भी हुई
तो
नकाब के साथ
खुशियाँ आई,
बधाईयाँ भी मिली,
तो अपनों की दूरी के साथ।
तिरंगे की डोरी
हाथ में पकड़ कर
खुशी से आँखें छल छला गई
पर जज्बात भी छिप गए
नकाब के साथ।
गर्व के लम्हों की
तस्वीर भी मिली
तो
आधे ढ़के चेहरे के साथ।