शहादत महकेगा  SANTOSH GUPTA

शहादत महकेगा

SANTOSH GUPTA

बातें हुई बहुत
कुर्सियों के दायरों तक,
पैगामे पहुँची नहीं
ड्रैगन के कायरों तक।
 

मिठास बस नाम की है
विश्वास में आघात है,
भ्रमजाल सा चाल है
नापाक इनकी जात है।
 

अवैध की भूमि पर
खाक तूने छान दी,
सारी हदें तोड़कर
सरहदे क्यों लाँघ दी।
 

आओ रणभूमि में
अगर युद्ध का आह्वान है,
सरहदें ना छेड़ो तुम
सरहदो में जान है।
 

बेनकाब तुम हो चुके
खत्म भेड़िए की चाल हुई,
इत्मीनान का ईमान था
तो सरहदें क्यों लाल हुई।
 

विवाद के संवाद का
खैर मकदम नहीं,
सीमाएँ जो लाघें तो
तुम्हारे कफन यहीं।
 

छू ले तू जमीं
इस काबिल नहीं,
होने देंगे तुझे
कुछ हासिल नहीं।
 

भ्रांति तुझे है, क्यों भला
भूल से है, तू क्यों चला,
गलवान के है ख्वाब तो
जवान से कर मुकाबला।
 

नियंत्रण अगर खुद पर नहीं
तो संवाद मे क्यों मामला,
समर की गूंज से हो
रेखाओं का फैसला।
 

गुफ्तगू कमरों में
लहू हमलों में,
आँखों में धूल
बढ़ते कदमों में।
 

हथियारों से तुमको
बातें करना है तो,
नकाब-पोशी दिखाते क्यों हो,
गर्मजोशी करना है तो
मिथ्या संधि बनाते क्यों हो।
 

सीमा पर जवान है..
भीतर भी आवाम है..
कब तक तुम उलझोगे ऐसे,
कब तक तुम अड़ोगे ऐसे,
नफरत तुमसे बढ़ती रही तो
गिरकर तुम संभलोगे कैसे।
 

क्षत विक्षत कितना करोगे
मात तुम पाकर रहोगे,
घमंड तुम्हारा चूर होगा
तुम भी चकनाचूर होगे।
 

बासठ का ये भारत नहीं है
लड़ने का तुममे साहस नहीं है,
वार्ता की आड़ में, सहमे हुए हो
सामना का तुममे, हिम्मत नहीं है।
 

दुनिया तुम्हारी
ताकत के तलवे हो,
आधुनिक हथियारों के
बढ़ते जलवे हो।
 

पर, शौर्य-पराक्रम
हिंद के जवानो का,
साहस-उत्साह
वतन के दीवानों का,
टकराकर वीरों से,
टिक नहीं पाओगे
सरहदों पर आए तो
दिख नहीं पाओगे।
 

आहुति जो दी है,
वीर जवानों ने,
घाटी सनी है
लहू लूहानो में।
रक्त का हर बूँद
बादल बनेगा
बनकर प्रलय
तुम पर बरसेगा।
 

सरहदों पे जब-जब
खून बहेगा,
बनकर संकल्प
हर दिल में धड़केगा।
जज्बे का सुमन
खिलकर चमन में
शहादत महकेगा।
 

जय हिंद

अपने विचार साझा करें




2
ने पसंद किया
840
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com