आँकलन ARUN KUMAR SHASTRI
आँकलन
ARUN KUMAR SHASTRIआँसुओं से मुझको, तो मत आंकना सखे,
दर्द को यदि पढ़ सको, तो ही इधर झाँकना सखे।
मैं व्यथित हूँ मानता हूँ पर भिक्षक नहीं सखे,
एक शिक्षक सी समझ हो तो ही मुझे ताकना सखे।
यूँ तो झंझावातों में सदा से हूँ घिरा,
यूँ तो झंझावातों में सदा से हूँ घिरा,
प्रेरणा बन कर मिलो तो ही ये हाथ थामना,
महज दिखावे के लिए तो मत आना सखे।
आँसुओं से मुझको, तुम मत आँकना सखे,
दर्द को यदि पढ़ सको, तो इधर झाँकना सखे।