आओ खेलें होली कुछ इस तरह विशेष Surya Pratap Singh
आओ खेलें होली कुछ इस तरह विशेष
Surya Pratap Singhघुल-मिल जाइये होली पर कुछ इस कदर,
मिल जातें है रंग और गुलाल जिस कदर।
है प्रवृत्ति अलग-अलग दोनों की किन्तु,
घुल-मिल के बढ़ाते हैं उत्साह किस कदर।
झिड़क दो परे आज मन पर जमी धूल सारी,
खेलो आज होली तुम आसक्ति भाव से।
लगाकर गालों पर गुलाल मिलो तुम गले से,
भूल जाओ गिले-शिकवे दिलों में रहे न कोई मलाल।
मन की कुंठा, ईर्ष्या एवं राग द्वैष को,
दहन कर दो होलिका में तुम आज की रात।
रह न जाए दिलों में मलाल कोई शेष,
आओ खेलें होली कुछ इस तरह विशेष।
है अनोखा यह त्यौहार अपना रंगों का,
उल्लास एवं उमंग से खेलिए।
बेरंग हो चुके जीवन, परिवार एवं समाज में,
आइए मिल-जुलकर अच्छे-अच्छे रंग भरें।