बरसो मेघ Abhishek Pandey
बरसो मेघ
Abhishek Pandeyहे मेघ जरा जल्दी बरसो
अब धरती माता प्यासी है,
आँचल उसका मुरझाया है
अंतर में भरी उदासी है।
स्वेद बूँद उसके माथे पर
आँखें पथराई, प्यासी हैं,
मन उसका है खाली-खाली,
बस तनिक नीर की अभिलाषी है।
हे मेघ जरा जल्दी बरसो,
अब धरती माता प्यासी है।
