वो बच्चा !  Manjul Singh

वो बच्चा !

Manjul Singh

लिए हाथ में हैं खड़ा
कटोरा हर चौराहे पर
वो बच्चा !
छूता हर लावारिस चीज को
ताकि खाने को मिल जाए
कुछ कच्चा-पक्का !
तपते बदन के
कूल्हों पर चढ़ा रखा
है, फटा पुराना कच्छा !
छूता पैर सभी के ताकि
कोई दे-दे एक आध
आठ आने का सिक्का!
अगर उसकी ये हालत
ना होती तो क्या वह भी
होता देश का हिस्सा ?
अटल,
अभिमानी,
और सच्चा !
अगर कभी कोई
दे देता उसको
फूटी कौड़ी का सिक्का,
छीन लिया जाता
है उससे उसकी
मेहनत का वो सिक्का !
फिर अगले दिन ना
जाने मिल जाए कहाँ
लिए हाथ में कटोरा लिए खड़ा,
किसी और
चौराहे पर
वो बच्चा !

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