समय सब कुछ लील गया Abhishek Pandey
समय सब कुछ लील गया
Abhishek Pandeyवह कच्चा घर,
गोबर से लिपा आँगन,
सुराही में रखा सोंधा दूध,
संतरे वाली टाफियाँ,
पानी उतारने वाला हैंडपम्प,
वह लुका छिपी का खेल,
वो लाल पीले कंचे,
वो महुए के पेड़ जिनके नीचे
दिनभर मैच खेलता था,
वह माँ का आँचल,
पिता की फटकार,
निष्ठुर समय सब लील गया।
बस बाकी बची हैं,
दिन रात की चिन्ताएँ,
जो इन स्मृतियों से कह रही हैं,
तुम्हारा यहाँ ठिकाना नहीं है
कहीं और जाओ,
हमें फैलने के लिए और जगह चाहिए।